शुक्रिया तुम्हारा
तुमने तोडे मेरे सपने
और मैं समझ गयी
टूटे सपने भी जीवंत होते हैं
देख कर अनदेखी करती
ये अधमुंदी सी आंखे
मत बरसना जब
बंद होंगी मेरी ये आँखें
ये शाम बहुत चुप सी है
कोहरे में चेहरा छुपाये
लैम्पपोस्ट बेबस
अंधियारे के शब्द कहाँ बोलते हैं ... निवेदिता
ये शाम बहुत चुप सी है
कोहरे में चेहरा छुपाये
लैम्पपोस्ट बेबस
अंधियारे के शब्द कहाँ बोलते हैं ... निवेदिता