रविवार, 21 नवंबर 2021

खुशियों की हुई बरसात !

 प्यार भरी हुई इक बात

खुशियों की हुई बरसात !

नन्हा सा इक फूल खिला
झोंका खुशबू भरा मिला
सज गयी मेरे घर की डाली
प्रभु बन कर आये माली
दुआओं की तानी कनात
खुशियों की हुई बरसात !

ठुमकते आये नन्हे पाँव
बसा गए सपनों के गाँव
उँगली थामे तू मुस्काये
ममता यूँ न्यौछावर जाए
जग में हो जाये विख्यात
खुशियों की हुई बरसात !

नाम तेरा #अहान रखा
तुझ में हँसता मेरा सखा
नमः शिवाय का जप किया
भोले ने तुझ सा वर दिया
स्मित से तेरी हुआ प्रभात
खुशियों की हुई बरसात !

दुआ माँगते जोड़ कर हाथ
खुशियों की हुई बरसात ! #निवी

मंगलवार, 9 नवंबर 2021

ऋतु

 वो सर्द होती गुलाबी सी रंगत 

चाहत उलझी हुई उंगलियों की


उन झुकती सी नम पलकों की

सपनीली सी गुनगुनी है कशिश 


रेशम सी उलझती है अलकों से

ओस सी बरसती हुई चन्द  बूंदे


सुनो ! ये कौन सी है ऋतु अब आयी

उष्ण हो जाती इन सिहरती रातों की 


सर्द होते जाते हैं गुलाबी से अहसास

हमसाया हैं तुम्हारे तप्त जज़्बातों के ! #निवी

           

गुरुवार, 4 नवंबर 2021

हाइकु

 माँ लक्ष्मी आईं

खुशियाँ बरसायीं
मन को भाईं !

शुभ शगुन
गणपति विराजे
कलश साजे !

मण्डप सजा
रिद्धि सिद्धि ले साथ
पधारो नाथ !

राम पधारे
शुभ शगुन सारे
हँसी बधाई !

खुशियाँ वारूँ
राम लखन जानकी
छवि निहारूँ ! #निवी

मंगलवार, 2 नवंबर 2021

लघुकथा : तीन घर

 #जय_माँ_शारदे 🙏


लघुकथा : तीन घर 


सात वर्ष का सुमेर खेल के मैदान में खड़ा हो कर भी जैसे वहाँ नहीं था । बहुत देर से उसका अनमनापन देख रहे सौम्य सर उसके पास आ गए ,"चैम्प ! तुम्हारा आज खेलने में मन नहीं लग रहा है क्या ? कोई बात नहीं आओ हम बैडमिन्टन  खेलते हैं ... खेलोगे न मेरे साथ !"


जब से सुमेर हॉस्टल में रहने आया ,तभी से उसकी खोई - खोई सी मासूमियत ने हॉस्टल - वॉर्डन सौम्य को उसकी विशेष देखभाल के लिए एक तरह से विवश कर दिया था ।


बहुत प्रयास करने पर भी ,सुमेर ने बैडमिंटन कोर्ट तक का रास्ता सन्नाटा जगाती सी चुप्पी में ही पार किया ,तब सौम्य घबरा गया और रास्ते की बेंच पर ही उसके साथ बैठ गया और फिर से एक अनथक सा प्रयास शुरू किया । 


सुमेर भी जैसे अपने अकेलेपन से टूटता जा रहा था । उसने सौम्य से नज़रें चुराते हुए पूछा ,"माता पिता अपने तलाक़ से पहले बच्चों से पूछना या उनको समझना जरूरी क्यों नहीं समझते ? "


सौम्य का दिल दहल गया और उसने सुमेर को बाँहों के सुरक्षित दायरे में समेट लिया । सुमेर की पलकें नम होती चली गईं ,"सर ! तलाक के बाद एक घर अक्सर तीन घरों में बँट जाता है ... दो मम्मी - पापा के और तीसरा ऐसा ही कोई हॉस्टल !" #निवी