बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

शिवोहम ...

 लगा के चन्दन, करूँ मैं वन्दन 

कैलाशवासी शिवोहम शिवोहम!

 

सुमिरूँ तुझको ओ अविनासी

दरस को तेरे अँखियाँ पियासी।

पिनाकपाणी जपूँ मैं स्त्रोतम

आओ उमापति मिटाओ उदासी।

झुकाए मस्तक करूँ मैं अर्चन!

लगा के चन्दन, करूँ मैं वन्दन 

कैलाशवासी शिवोहम शिवोहम!


कामनाओं के बादल घनेरे

मुझको माया हर पल घेरे।

वासना के जाल हटाओ

याचना करूँ लगा के फ़ेरे।

लगाई आस बनूँ मैं कुन्दन!

लगा के चन्दन, करूँ मैं वन्दन 

कैलाशवासी शिवोहम शिवोहम!


नन्दि सवारी सर्प हैं गहने

तेरी महिमा के क्या कहने।

छवि अलौकिक नेह बरसे

त्रुटि बिसारो जो हुई अनजाने।

कृपा करो हे सिंधुनन्दन!

लगा के चन्दन, करूँ मैं वन्दन 

कैलाशवासी शिवोहम शिवोहम!

✍️ निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

     लखनऊ 

रविवार, 2 फ़रवरी 2025

शारदे वन्दना


अंतरमन शुचि सुंदर हो मॉं

राग विकार से रिक्त हो जाऊँ!


रच जाऊँ श्रध्दा से माँ मैं,

साँस साँस पूजन हो जाये

शब्द करे यूँ नर्तन मन में

मन वृंदावन हो मुस्काए।


मन वीणा के तारों से माँ 

महिमा तेरी पावन गाऊं।

अंतरमन शुचि सुंदर हो मॉं

राग विकार से रिक्त हो जाऊँ!

**

मन ही मन की न समझे

मैं मनका मनका फेर रही हूँ,

घट घट रमते बनमाली सा

नन्दन वन को हेर रही हूँ।

शीश मेरे माँ हाथ तो रख दो 

झूम झूम पग से लग जाऊँ।

अंतरमन शुचि सुंदर हो मॉं

राग विकार से रिक्त हो जाऊँ!

**

निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ