उसने कहा
आँखें तुम्हारी
सीप सी
और मैंने
मोती बरसा दिए !
उसने कहा
आँखों में तुम्हारी
आँसू क्यों ....
आँखों से लुढ़के
और पानी बन गये !
उसने कहा
आँखें तुम्हारी
गोमुख सी
लब लगाये
और पावन हो गये !
उसने कहा
आँखें तुम्हारी
ज़िन्दगी मेरी
साँसे मेरी
बस बहक गईं !
उसने कहा
आँखें तुम्हारी
प्यासी बड़ी
नजरें मिलीं
और भर गईं !
-निवेदिता