अरे ! तुम आ गए
पर अब क्यों आये
अब इस सांसों के
थमने की घड़ी में
तुम्हारा आना भी
बड़ा ही बेसबब है
सच अब यूँ आना
भी न थाम सकेगा
मेरी टूटती सांसों की
थरथराती सी डोर
हाँ ! चाहा था मैंने
तुम्हे पूरी चाहत से
अपने जीवन के हर
काले उजले पल में
तुम तो थे जीने की आस
चलो ... मुक्त करो मुझे
मुझे जीने दो मेरी
बस ,ये अंतिम सांस .... निवेदिता
पर अब क्यों आये
अब इस सांसों के
थमने की घड़ी में
तुम्हारा आना भी
बड़ा ही बेसबब है
सच अब यूँ आना
भी न थाम सकेगा
मेरी टूटती सांसों की
थरथराती सी डोर
हाँ ! चाहा था मैंने
तुम्हे पूरी चाहत से
अपने जीवन के हर
काले उजले पल में
तुम तो थे जीने की आस
चलो ... मुक्त करो मुझे
मुझे जीने दो मेरी
बस ,ये अंतिम सांस .... निवेदिता