सदैव गंगा की
लहरों में ही नहीं मिलता
पर हाँ !
कभी कभी जल पात्र
या कह लो
गंगाजली में भी रहता है
पर .....
जब असली एकदम खरा
शुद्ध ,पावन गंगा जल खोजा
न गंगोत्री में मिला
और ना गोमुख में ही !
बस इक मासूम सी
झलक दिख ही गयी
मनभाती न कर पाने
और न मिल पाने पर
छलक पड़ी
नन्ही - नन्ही अँखड़ी में !
और मैने भी अपने
दिल के सागर में
सॅंजो लिया
इस पुण्य सलिला को
और हाँ !
मनचाही कर लेने पर
अकसर खिलखिला कर
इन्द्रधनुषी मोती
छलक जाने
पर भी
पुण्य सलिला की
तलाश पूरी हो जाती है ! ....... निवेदिता