" चूड़ी " ..... इसके बारे में सोचते ही सबसे पहले एक मीठी सी आवाज़ " खन्न " की गूँज जाती है और इसके बाद तो इतने ढेर सारे रंग निगाहों में लहरा जाते हैं ,और वो भी ऐसे सतरंगी कि हर रंग मन में बस जाए .....
इस चूड़ी पर गाने भी तो कितने सारे और कितने प्यारे लिखे गये हैं ....... बोले चूड़ियाँ बोले कंगना ..... चूड़ी नहीं मेरा दिल है ...... चूड़ी मजा न देगी ..... गोरी हैं कलाइयाँ , पहना दे मुझे हरी - हरी चूड़ियाँ ......
हर समुदाय विशेष में इन चूड़ियों के बारे में धारणाएं भी अलग - अलग हैं ....... बंगाली समुदाय शंख की बनी हुई लाल और सफेद रंग की चूड़ियों को विशेष शुभ मानता है , तो पंजाबी समुदाय में लाह अथवा लाख की बनी चूड़ियों को ...... कांच की बनी चूड़ियाँ तो लगभग सभी पह्नते हैं ...... सिंधी और पंजाबी समुदाय में सिर्फ सोने की चूड़ियाँ भी पहनी जाती हैं , जबकि अन्य लोग सिर्फ सोने की चूड़ियाँ पहनना अशुभ मानते हैं , वो सोने के साथ कांच की चूड़ियाँ जरुर पहनते हैं .....
चूड़ी की धातु के साथ ही उसके रंगों का भी अलग - अलग परिवारों में रंगों की भी अपनी ही परम्परा होती है ...... अधिकतर लाल रंग को प्रमुखता देतें हैं ,पर कुछ सतरंगी को ( शायद इसके पीछे कारण यही रहा होगा कि साल भर विवाह वाली चूड़ियाँ ही पहनी जाती हैं ,तो सतरंगी चूड़ियाँ हर तरह के वस्त्रों पर अच्छी लगती हैं ) ....... कुछ परिवार काले रंग की चूड़ी को लाल रंग की चूड़ियों के साथ विवाह में वधु को दिये जाने वाले उपहार के साथ भेजना शुभ मानते हैं .....
चूड़ियों को पहनते समय उनकी संख्या का भी विशेष महत्व होता है ....... विवाहपूर्व कितनी भी संख्या में चूड़ियाँ पहन लें कोई कुछ नहीं कहता ,पर विवाहोपरांत तो याद दिलाया जाता है कि चूड़ी पहनते अथवा खरीदते समय संख्या विषम होनी चाहिए ,अर्थात एक कलाई में दूसरी कलाई से एक चूड़ी अधिक पहनते हैं ,इस चूड़ी को " आसीस " अथवा " सुहाग " की चूड़ी भी कहते हैं और दुकानदार इसके पैसे भी नहीं लेते हैं ......सम्भवत: चूड़ियों की संख्या विषम रखने का कारण यही हो सकता है कि सम संख्यायें तो आपस में कट जायेंगी परन्तु विषम संख्या में एक ,जिसे सब सुहाग अथवा असीस की चूड़ी कहते हैं वो सुरक्षित रहेगी ......
अब तो सुविधा की दृष्टी से चूड़ियों के स्थान पर कांच के कड़े अधिक पहने जाते हैं और सोने के कड़े तो बस बैंक के लाकर की शोभा बढाने के लिए ही लिए जाते हैं .........
एक गीत हो जाए चूड़ियों के लिए जो मुझे बहुत प्रिय है .....
http://www.youtube.com/watch?v=pBP_9EwivkY
-निवेदिता