चाहतें तो सभी की
बहुत सी होती हैं
मेरी भी है
पर बहुत ही
छोटी छोटी सी
ख़ता की है
तुम्हारी पड़ी हुई
एक नामालूम सी निगाह ने
मेरी छोटी सी
खुशियों की चाहत को
इतना बड़ा बना दिया
सारी दुनिया को सागर
अपनी निगाह को
गंगासागर बना दिया … निवेदिता