सोचती हूँ
आज
उन शब्दों को
स्वर दे दूँ
जो यूँ ही
मौन हो
दम तोड़ गए
और
अजनबी से
दफ़न हो
सज रहे है
एक
शोख मज़ार सरीखे
एहसासों के दलदल में … निवेदिता
आज
उन शब्दों को
स्वर दे दूँ
जो यूँ ही
मौन हो
दम तोड़ गए
और
अजनबी से
दफ़न हो
सज रहे है
एक
शोख मज़ार सरीखे
एहसासों के दलदल में … निवेदिता