लघुकथा : माँ
नन्हा सा अवि अपनी बाल चित्र कथा के पन्नों पर अंकित चित्रों को देखता कुछ - कुछ बोलता जा रहा था और वह अपने काम करती उसकी जिज्ञासा भी शांत करती जा रही थी । अचानक से उसकी चुप्पी से चौंक कर वह उसके पास पहुँच गयी ,"अवि !क्या हो गया बेटा ?"
"माँ ! सारी माएँ अपने बच्चे की सुरक्षा के लिये सतर्क रहती हैं ,फिर ये शेरनी अपने बच्चे को इस हाथी की सूँड़ में कैसे छोड़ कर आराम से टहलती चल रही है और उसको देख भी नहीं रही है ",नन्हा अवि शेर के नन्हे के लिये चिंतित था ।
"बेटा ! माँ कोई भी हो वह सिर्फ माँ होती है ", वह हँस पड़ी ,"बताओ कैसे ?"
अवि भी खिलखिलाता उसके गले मे झूल गया ,"हाँ माँ ! जैसे वो पड़ोसन काकी सब पर गुस्सा करती हैं ,परन्तु हम सब बच्चों को सिर्फ लाड़ । हमारे लिये आप सब को भी डाँटती हैं न !"
... निवेदिता श्रीवास्तव'निवी'
नन्हा सा अवि अपनी बाल चित्र कथा के पन्नों पर अंकित चित्रों को देखता कुछ - कुछ बोलता जा रहा था और वह अपने काम करती उसकी जिज्ञासा भी शांत करती जा रही थी । अचानक से उसकी चुप्पी से चौंक कर वह उसके पास पहुँच गयी ,"अवि !क्या हो गया बेटा ?"
"माँ ! सारी माएँ अपने बच्चे की सुरक्षा के लिये सतर्क रहती हैं ,फिर ये शेरनी अपने बच्चे को इस हाथी की सूँड़ में कैसे छोड़ कर आराम से टहलती चल रही है और उसको देख भी नहीं रही है ",नन्हा अवि शेर के नन्हे के लिये चिंतित था ।
"बेटा ! माँ कोई भी हो वह सिर्फ माँ होती है ", वह हँस पड़ी ,"बताओ कैसे ?"
अवि भी खिलखिलाता उसके गले मे झूल गया ,"हाँ माँ ! जैसे वो पड़ोसन काकी सब पर गुस्सा करती हैं ,परन्तु हम सब बच्चों को सिर्फ लाड़ । हमारे लिये आप सब को भी डाँटती हैं न !"
... निवेदिता श्रीवास्तव'निवी'