आज अपने हमसफर के जन्मदिन की पूर्वसंध्या पर ,बस यूँ ही ,बहुत कुछ याद आ रहा है | मौसम के बदलते मिजाज जैसा हमारा साथ कभी खिलखिलाहटों से गूँजता घर ,तो कभी हवाओं की सरगोशियों सा स्मित का आना-जाना ..... कब धीरे-धीरे आप बटर हाफ बनते गए और शायद मैं बिटर हाफ पता नहीं चला | वैसे सच पूछो तो अगर बटर हाफ और बिटर हाफ दोनों का संतुलन हो तभी बेटर हाफ बना जा सकता है :) इन अर्थों में हम इतना अधिक समझने लगे कि हम एक दूसरे के बेटर हाफ बन गये ,एक दूसरे की सीमाओं को असीमित करते हुए |
बच्चों के हास्टल जाने के बाद आने वाली रिक्तता को समेटने के प्रयास में ,मेरा नाता ब्लागिंग की दुनिया से जोड़ने वाले भी आप ही थे | इस दुनिया में भी बहुत अच्छे मित्रों का साथ मिला | मेरी माँ के देहांत पर मेरी व्याकुल मन को समेटने के लिए मिशन के स्कूल में पढ़ाने के लिए भी प्रेरित किया और सच में वहाँ जा कर छोटे -बड़े बच्चों के साथ मन बहुत हद तक संतुलित हो गया था | मेरे जन्मदिन की अपनी पोस्ट पर आपने लिखा था कि आप वोकल नहीं हैं ,पर बिन बोले भी साथ दिया है .... खामोशी की जुबां बहुत मधुर होती है ,पर सच कहूँ बोलने का अपना अलग ही आनंद है...........