आज ,२५ अगस्त ,की तारीख हमारे लिए बहुत ख़ास है | इसी तारीख पर ईश्वर ने हमें अपने आशीष स्वरूप हमारा प्यारा सा बेटा "अनिमेष " दिया | इस दिन से जुड़ी इतनी सारी यादें जैसे आँखमिचौली करती सी सब तरफ से हम पर छा सी गयी हैं | हरतालिका-तीज व्रत के दो दिन बाद ऋषि-पंचमी को अनिमेष का जन्म हुआ था |
पूरा परिवार नई पीढ़ी के इस नन्हे सदस्य के स्वागत में खुशियों में सराबोर था | पर कहीं हम सब डरे हुए भी थे | अनिमेष का जन्म उसके आठवें महीने में हुआ था इसलिए कुछ दिक्कतें भी थीं , डाक्टर ने बहुत ढेर सारी हिदायतों के साथ हमें (हम दोनों और अनिमेष की दादी माँ ),घर जाने दिया | इन्फेक्शन का भी डर था | बेटे के जन्म के प्रथम दो वर्ष हमने जैसे उसे पलकों तले छुपा कर रखा था |
अनिमेष को हम ने हमेशा सच बोलना ही सिखाया | कई बार उसकी इस आदत की वजह से ऐसी मजेदार परिस्थितियाँ बन जातीं थीं कि उसका शिकार भी मजे लेता था | एक बार उसके पापा के मित्र घर आये ,जनाब पहले तो दूर से देखते रहे | फिर बाकायदा उस मित्र की गोद में बैठ गए और उनका चेहरा पकड़ कर बोले "अंकल आप जल्दी मर जाओगे " | हम सब चौंक गये और उसको डांटा तो मुस्कराते हुए बोला " मम्मी आप ने ही तो कहा था सिगरेट पीने से कैंसर हो जाता है ,अंकल इतनी सिगरेट पी रहें हैं तो अंकल को कैंसर हो जाएगा और वो मर जायेंगे "| इस का एक फायदा हमें भी हुआ कि उन मित्र ने उस दिन के बाद हमारे घर पर धूम्रपान कभी नहीं किया |
अनिमेष का इकलौता शौक है उसका क्रिकेट का खेल - देखना भी और खेलना भी | टी.वी.के चैनल बदलते हुए कहीं गेंद की झलक भी मिल जाती तो बस वहीं जम जाता | अपनी पढाई के प्रति कभी लापरवाह नहीं होता था और मस्ती - शैतानियाँ भी बहुत करता | उसके दोस्त भी बहुत सारे थे .... अभी भी हैं :))
बेटा तो बहुत अच्छा है ही अनिमेष ,साथ में बड़ा भाई भी उतना ही अच्छा है | अभिषेक ,हमारा छोटा बेटा ,को बहुत सी बातें ,मस्ती करते हुए ही सिखा देता है | हास्टल में भी अभिभावक जैसे ही ध्यान रखता है | ये दोनो भाई हमारे जीवन के बहुत मजबूत आधार-स्तम्भ हैं |
अभी वो आई. आई.टी. कानपुर में बी.टेक. तृतीय वर्ष में है | वहाँ भी वो अपनी आदत के अनुसार पढ़ाई और मस्ती दोनों ही कर रहा है |
आज अपने दुलारे बच्चे के लिए बस यही दुआ है कि उसके मन का बच्चा ताउम्र उसके साथ रहे.......दुनिया में जितनी भी खुशियाँ ,सफलता सुख हो सब उसको मिले ...चश्मे-बद-दूर !!!