आज तक हम बाल-विवाह की ही बातें करतें रहें हैं | उसके दुष्परिणामों
की आलोचनायें ही की हैं |सच ये तो बच्चों का बचपन छीनने की बड़ी गलत
और घृणित साज़िश है |परन्तु आज मै थोड़ा सा इस विषय से दूसरी तरफ
देखना चाह रही हूं |आज बालिका- विवाह के बारे में चर्चा करने की कोशिश
कर रही हूं | हाँ ,ये दोनों ही विषय एकदम अलग हैं |
देखा आपने इस चित्र में बैठे हुए बुज़ुर्गवार कितने प्रसन्न हैं ,जैसे कितना बड़ा काम करने जा रहे हैं | हालांकि देखने वाला यह भी सोच
सकता है कि हज़रत शादी करने जा रहे हैं या कन्यादान करने !!!
सच्चाई तो यही है कि कोई कुछ भी कहे ,बुज़ुर्गवार ब्याह करने की
सोच कर बेहद खुश हो रहे हैं |ज़रा सा उन के बगल में निगाह डालिए तो
एक बच्ची दिख रही है , साथ ही उसका खिलौना भी | शायद उसको ये
पता भी नहीं कि खिलौने से खेलते-खेलते अचानक वो खुद भी खिलौना बनने जा रही है | इस रिश्ते के कितने दुष्परिणाम होंगे ,अगर गौर करने लगिये तो शायद समय कम पड़ जाएगा |
सबसे बड़ा पाप उस बच्ची को अशिक्षित रखने का होगा | बच्ची जब पढ़ेगी ही नहीं तो उचित-अनुचित का ज्ञान होने का तो प्रश्न ही नहीं उठेगा |
उस नन्ही सी बच्ची को ज़िंदगी जो भी देगी ,वो उसको अपनी किस्मत ही
समझेगी और सबके एहसानों के बोझ तले दबी ही रहेगी | शिक्षा से दूर रह कर वो न तो अपना भला कर पायेगी और न ही अपने परिवार का |
बेमेल विवाह का एक और दाग़ उस बच्ची के जीवन में तब आयेगा जब वो जीवन को समझने और जीने योग्य होगी उसका साथी जीवन से थक चुका होगा | उस की मृत्यु के बाद भरपूर यौवनावस्था में ही विधवा का जीवन गुजारने को अभिशप्त होगी |उसके विविध कर्मकांडों को निभाते हुए
तन-मन से गलती जायेगी | यदि परिवार में कोई विशिष्ट महानुभाव हुए तो
उसका जीवन नारकीय हो जाएगा ,जिसे नातो वो जी पायेगी और न ही मर
पायेगी !!
अभी भी कुछ स्थानों पर सती - प्रथा भी प्रचलित है | हाँ इसका नाम बदल कर 'पति-वियोग में की गयी आत्महत्या ' का नाम दे दिया गया है |
किसी और की गलती की सज़ा के तौर पर उस से जीने का अधिकार भी छीन लिया जाता है |
एक बार फिर सोच कर देखिये ,बालिका-विवाह कितना बडा अभिशाप
है | बाल-विवाह भी गलत है ,परन्तु उसमें कम से कम वर-वधु की आयु तो
एक सी ही होती है |
बाल-विवाह और बालिका-विवाह करने और उसमें सहयोग देने वाले महानुभावों का क्या किया जाए ,ज़रा सोच कर तो देखिये | कुछ सुझाव तो मेंरे पास भी हैं - सबसे पहले तो उनको हवालात की हवा भी खिलाएं और लात भी | उसके साथ ही साथ समाज से भी बहिष्कृत किया जाए |