कभी मना कर रूठ जाते है वो
कभी यूँ भी रुठ कर मनाते है
जो हार जाये वो प्यार क्या
तकरार न हो इजहार क्या
नजरों से नजरें चुराते है वो
यूँ ही दिल में बस जाते है वो
न कुछ हारते हैं ,न जीतते है
प्यार ही प्यार में जिये जाते हैं ..... निवेदिता
कभी यूँ भी रुठ कर मनाते है
जो हार जाये वो प्यार क्या
तकरार न हो इजहार क्या
नजरों से नजरें चुराते है वो
यूँ ही दिल में बस जाते है वो
न कुछ हारते हैं ,न जीतते है
प्यार ही प्यार में जिये जाते हैं ..... निवेदिता