आइना भी कितना दिलफरेब है
ये तो बस चेहरा ही देखता है
नज़रें मेरी तरस बरस कर
हर पल बस तुम्हे देखती हैं
तुम दिख जाते हो न
तभी तक ये आँखे देखती हैं
पगला दिल धड़कना भूल जाता है
निगाहों से जब तुम ओझल होते हो
ये लब तो है मेरे पर देखो न
हर पल बस नाम तुम्हारा ही लेते हैं
सच है ये साँसे भी तभी आती हैं
जब तुम कहीं आस पास होते है
मनो या न मानो "बस यूँ ही" समझो
जब तक तुम हो तभी तक मैं हूँ .......... निवेदिता