शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

#मनबावरा .....

मनुष्य को इस संसार में लाना तो कठिन है ही ,पर उसको भला आदमी बना पाना उससे कही बहुत ज्यादा कठिन है  ... ... निवेदिता


मानव मन अपने मन की बातें छुपाना चाहता है शायद इसके पीछे का मूल कारण ये ही होगा कि शेष व्यक्ति उस बात को अपने मनमाफिक रंग देकर व्याख्या करेंगे और खामोश होता जाता है ...... निवेदिता


भारी सामान नहीं मन होता है .... दो तीन किलो सामान लेकर चलने में ही हाथों में दर्द अनुभव होने लगता है जबकि नौ महीने का गर्भकाल ,जो दिनोदिन शिशु की सृजनात्मक वृद्धि का होता है ,आत्मा तक को हल्कापन अनुभूत कराता है ....... निवेदिता


घड़े सी होना चाहती हूँ 
और बाद में ......
बाद में भी मिटटी  ..... निवेदिता 


मन ( गुरुर ) बड़ा नहीं होना चाहिये 
मान ( सम्मान ) बढा होना चाहिये  ...... निवेदिता 

बुधवार, 27 सितंबर 2017

बस यही इक पल है ....



# जो भी है बस यही इक पल है ....
छोटे छोटे पल ,पलक से झरते रहे
छोटी छोटी बातें ,बड़ी बनती गयीं
निगाहें व्यतीत सी ,छलकती रहीं
यादें अतीत सी ,कसकती ही रहीं
सामने वर्तमान है ,सूर्य किरण सा
परछाईं सी बातें , पग थामती रहीं
                                    ..... निवेदिता

सोमवार, 25 सितंबर 2017

पूरा हो जाये एक चक्र ......

अपलक निहार रही हूँ 
एक बाती है नन्ही सी
कभी दायें तो कभी बाएं 
लड़खड़ा कर भी 
जलती ही जा रही है 
उसके कदमों को थामे है
एक काँप जाती सी लौ
शायद अगले ही पल
दम घुट जाये और
सांसों से आजाद हो जाए
वो डगमगाती नन्ही सी बाती
और पूरा हो जाये एक चक्र ...... निवेदिता




रविवार, 24 सितंबर 2017

दीवारें ........





दीवारों की भी कई किस्में होती हैं 
दीवारें खींचती हैं कुछ रेखायें
इधर सोना है तो उधर खाना खाना 
इस तरफ चप्पलें रखना 
पर हाँ उस तरफ बिल्कुल न ले जाना 
चलो इस छोटी रेखा के इधर पूजा कर लूँगी मैं
तुम उस बड़ीवाली रेखा के पार दोस्तों को बैठाना
सपनों सी होती हैं ये दीवारें
कभी अपनों सा समेट लेतीं हैं
कभी बेगानों सा दूर ढ़केल देतीं हैं
ये दीवारें सच बड़ी दिलफ़रेब होती हैं
..... निवेदिता

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

एक अनमोल पत्थर सी मैं ........

जब जब ठोकरों से तराशी जाती हूँ
ये विश्वास और भी पल्लवित होता है 
हाँ ! मैं हूँ हीरा ... एक अनमोल पत्थर 
पर जानते हो एक बात 
इस हीरे में छुपा हुआ है एक दिल
और वो धड़कता है
सहमता है और लरजता भी
तुम्हारी बातों से भी
उसकी चाहत जानना चाहोगे
वो तो बस बेसबब धड़कना चाहता है ...... निवेदिता