मन की छुअन को छूते
दुलराते सहज स्नेहिल
भाव तुम्हारे ...........
जीवन की ढलती दोपहरी में
छाया बन सहेजते
हर चुभन ................
कभी चांदनी कभी फुहार बन
लहराती फगुनहट सी
इन्द्रधनुषी चमक ..........
पल-पल बहती जीवन नदिया
भंवर -किनारों से बचते -बचाते
आ पहुंची मंजिल तक ......
लो फिर याद आते
भाव तुम्हारे ................
दुलराते सहज स्नेहिल
भाव तुम्हारे ...........
जीवन की ढलती दोपहरी में
छाया बन सहेजते
हर चुभन ................
कभी चांदनी कभी फुहार बन
लहराती फगुनहट सी
इन्द्रधनुषी चमक ..........
पल-पल बहती जीवन नदिया
भंवर -किनारों से बचते -बचाते
आ पहुंची मंजिल तक ......
लो फिर याद आते
भाव तुम्हारे ................