बताओ न कैसी कैसी
चित्र विचित्र सी चाहतो की
पौध रोपता रहता है
देखो न आज भी
ये कैसी चाहत चाह रहा है
कहता है ...
चलो न आज केसर बना जाए
जब शुभकामना देनी हो
या करना हो पूजित
मुझे बस अपने माथे पर
थोड़ी जगह दे सजा लेना
और सुनो न .....
कहीं आवष्यकता हो
तुम्हे औषधि की
बस याद से मुझे
अपने में संजो लेना
निर्विकार हो जाओगे
अरे हाँ .....
तनिक सी जगह दे देना
अपने भोजन के थाल में
देखना सुवास और स्वाद का
कैसा अनमोल होगा वो संतुलन
देखो न ......
बस हर पल हर सांस
प्रत्येक पग प्रत्येक डगर
इस धरा से उस जहाँ तक
रहना और रखना साथ मे ..... निवेदिता