बड़ी खुशियों की तलाश में ,
दम तोड़ जाती नन्हीं खुशियाँ !
सूत दर सूत बढ़ कर ही ,
बन पाता वृक्ष विशाल .....
अंकुरण काल से ही ,बीज में
छुपी रहती अपार संभावनाएं ....
जरा नन्हे से बीज से झांकती ,
पत्तियों को सँवार कर तो देखें ....
बाल-मन की किलकारियों पर झूमती ,
नन्ही हथेलियों को सहला कर तो देखें ........
नींव की अनदेखी पड़ जायेगी भारी ,
जरा रेत पर इमारत बना कर तो देखें .....
कहकहे लगाना हो मुश्किल तो ,
जरा थोड़ा सा मुस्कुरा कर तो देखें .......
एवरेस्ट की चढ़ाई मुमकिन नहीं ,
जरा घर में ही क़दमों को बढ़ा कर तो देखें .......
चमकते सूरज को नहीं देख सकते ,
जरा जर्रे को माहताब बना कर तो देखें .....
दुनिया को हंसा नहीं सकते तो क्या ,
एक मुरझाये चेहरे को गुदगुदा कर तो देखें ......
बड़ी खुशियाँ जब आयेंगी तब की तब देखेंगे ,
एक छोटे से प्रोत्साहन पर खिलखिला कर तो देखें .....
ये सुकून भरी साँसे इतनी मुश्किल भी नहीं ,
जरा प्यार से हाथ बढ़ा कर तो देखें ..........