मंगलवार, 10 नवंबर 2020

लघुकथा : अदला - बदली

पराठे सेंकते हुए वसु ने अवि को आते देखा तो वहीं से हँसते हुए बोल उठी ,"सुनो ! ये वाला पराठा थोड़ा करारा हो गया है ,तो मैंने उसको मोड़ दिया है । चुपचाप बिना देखे खा लेना ।" 


अवि पानी लेने रसोई में आ गया था ,"मतलब पराठा जल गया है न ... ऐसे बोलो न ,बिना मतलब के बहाने बना रही हो ," और हँसता हुआ प्लेट ले कर डायनिंग टेबल की तरफ चल गया ,"वैसे जानती हो स्वाद तो इसी पराठे का ज्यादा अच्छा है । "


वसु दूसरा पराठा ले आयी ,"सुनो !देखो न ये वाला कितना अच्छा सिंका है न ... ऐसा करो इस को देखते हुए उस करारे पराठे को खा लो । तुम तो अक्सर यही करते ही हो ... कल्पना से वर्तमान की ख़्याली अदला बदली ... "

    ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

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