निरख रहे धरती अरु अम्बर
सदा सुखी हों सजनी साजन
सूर्य किरण की डोली आये
नर्तन करती चपला सारी
चटक धूप पायल बन गाये
खनकी जायें बारी बारी
पंछी करते मंगल गायन
निरख रहे ...
ढ़लता सूरज लाली लाये
चलो विदा की बेला आयी
हिना लिये पवन चली आये
कलियाँ आशिष वर्षा लायीं
सदा रहे जीवन अति पावन
निरख रहे ...
रजनी स्वागत थाल सजाये
तारों भरी चुनर ले आये
आ जा अवनी तुझे बुलाये
बीता जीवन भी भुलवाये
गाये मन तेरा मधु सावन
निरख रहे ....
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
सदा सुखी हों सजनी साजन
सूर्य किरण की डोली आये
नर्तन करती चपला सारी
चटक धूप पायल बन गाये
खनकी जायें बारी बारी
पंछी करते मंगल गायन
निरख रहे ...
ढ़लता सूरज लाली लाये
चलो विदा की बेला आयी
हिना लिये पवन चली आये
कलियाँ आशिष वर्षा लायीं
सदा रहे जीवन अति पावन
निरख रहे ...
रजनी स्वागत थाल सजाये
तारों भरी चुनर ले आये
आ जा अवनी तुझे बुलाये
बीता जीवन भी भुलवाये
गाये मन तेरा मधु सावन
निरख रहे ....
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
खूबसूरत कविता लिखी है आपने। बधाई।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्ददर रचना।
जवाब देंहटाएंअरु के स्थान पर तरु कर देंगी तो अच्छा लगेगा।