लघुकथा : केंचुल
- कार्यक्रम की सफलता को उत्सवित करते बातों में व्यस्त सब का ध्यान अचानक से ही अन्विता की तरफ गया । वरिष्ठ अधिकारी के साथ आरामदेह सोफे पर बैठी ऑफ़िस मिनिट्स के बारे में बात करते - करते ,अचानक ही वहाँ से उठ कर कोने के स्टूल पर बैठने में लड़खड़ा गयी थी ।
"क्या हुआ ... क्या हुआ ..." ,बोलते सब उसकी तरफ लपके ।
अन्विता धीरे से उठती हुई बोली ,"कुछ खास नहीं बस इंसान में बसे साँप की केंचुल उतरने का अनुभव कर लिया ।"
.... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगजब!!
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