गुनगुनाती रही रात भर मैं गज़ल।
साथ तुम भी कभी गुनगुनाया करो।।
मुस्कराते रहे चश्मे नम शब भर
हो सके कभी सच भी बताया करो
सारे' सपने सच खिल ही जायें'गे
सच कभी बन तुम जगमगाया करो
सच कहो साथ कभी इतना दुश्वार नहीं
भाव जो मन बसे ना छुपाया करो
सफ़र ज़िन्दगी का है मुश्किल मगर
दो कदम साथ 'निवी' निभाया करो
.... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
अहा , भाभी माँ | क्या बात है | यही रवानी यही तेवर बना रहे हमेशा | बहुत ही प्यारी बात |
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सरस लाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत कुछ न कहते हुए भी बहुत कुछ कह दिया इन शब्दों में ...
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