अब चलूँ ......
थाम लिया था तुझे जब वक्त ने कहा अब चलूँ
छूटती उंगलियों की जुम्बिश से कहा अब चलूँ
बेरुखी दिख ही गयी उन अपनी सी आँखों मे
छलकती आँखों ने बिना बोले कहा अब चलूँ
महफ़िल सजी थी तेरे दर पर चन्द अपनों की
खामोश निगाहों ने भी बरबस कहा अब चलूँ
कहने को दुनियावी सरंजाम सजाए बहुत थे
दिलों के रीते पड़े से पैमाने ने कहा अब चलूँ
सुना था तेरे दिल के सागर में नमी बहुत है
सहरा से आ गयी दूरी ने भी कहा अब चलूँ
यादों की कश्ती तो बड़ी हंगामाखेज बही
जज़्बातों के सुराखों ने भी कहा अब चलूँ
सफ़र तेरे साथ का अभी बहुत रह गया बाकी
बातों में तेरी आ गई ख़लिश ने कहा अब चलूँ
तुमने जतलाया नहीं पर छुपाया भी तो नहीं
खुली पलक सब देख 'निवी' ने कहा अब चलूँ
.... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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