शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

प्यार या आकर्षण........

                                                                                                                                                                                  
अक्सर सोचती हूँ ........
ये प्यार है या आकर्षण ......
सुनो तो कुछ तुम भी तो बोलो ...
चलो मैं ही बतलाती हूँ .....
आकर्षित तो बहुत कुछ करता 
कभी आचरण ,कभी विचार
कभी उश्रॄंखलता,कभी दुलार 
लरजते अनेक विचार ...........
कुछ ही पलों में कपूर से उड़ जाते 
पर ये तो थी नयनों की भाषा ......
आँख में पड़ी रेत सा चुभ जाती !
मुंदी आँखों में लहरा जाते साया बन
धरा पे छाया हो ज्यों नील गगन ......
आकर्षण तो है नयनों की ,लबों की भाषा 
प्यार तो है प्यारा एहसास 
खुद बेजुबान पर दिल की ज़ुबान.......
क्षितिज सा जोड़े रहता धरा को गगन से 
सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार ........
                                                 -निवेदिता 

19 टिप्‍पणियां:

  1. अनसुलझा प्रश्न, न जाने कब से, उत्तर नहीं मिलता है।

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  2. सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार ........

    बहुत सुंदर!

    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  3. नमस्कार,
    मुझे आज तक नहीं पता चला कि
    प्यार के मामले में हमेशा रहस्य क्यों रहता है।

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  4. सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार ........

    मुझे भी यही बात सही मालूम पड़ती है.

    सादर

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  5. निवेदिता जी प्यार की सही और सच्ची परिभाषा आपने अपनी कविता- प्यार या आकर्षण में दी है । इसको लोग समझ लें तो संसार कितना खूबसूरत हो जाएगा! ये पंक्तियाँ बहुत सटीक व्याख्या करती हैं-
    प्यार तो है प्यारा एहसास
    खुद बेजुबान पर दिल की ज़ुबान.......
    क्षितिज सा जोड़े रहता धरा को गगन से
    सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार ........

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  6. सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार
    nirvivaad satya

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  7. आकर्षण तो है नयनों की ,लबों की भाषा
    प्यार तो है प्यारा एहसास ...

    बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना ....

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  8. aakarshan ke pashchat hi pyar ka prarambh hai,

    pehla hai aadhar toh,doosra uska stambh hai.......

    bahut hi achchi kavita hai.

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  9. हकीक़त को परिभाषित करती खुबसूरत रचना |

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  10. अच्छी सकारात्मक परिभाषा , मगर दूसरों से भी पूंछ कर देखें :-)
    रचना बहुत प्यारी लगी ...बार बार पढ़ी ! शुभकामनायें !!

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  11. प्रेम वो एहसास जो एक पल के लिए भी जी लिया तो धन्य हो गए..

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  12. बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना|धन्यवाद|

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  13. क्षितिज सा जोड़े रहता धरा को गगन से
    सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार .......!

    बेहद मार्मिक पंक्तियाँ प्यार को अभिव्यक्त करती हुई ....आपका आभार

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  14. "ye pyaar hai yaa aakarshan ...
    dhraa ko jode rahtaa ,gagan se ...
    pyaari abhivyakti hai -NIVEDITAJI,
    aau pyaar "goonge ke gud jaisaa ,kabeer ke nirguniyaa brahm saa .....jo bhi hai ek ehsaas se bahut aage hai ,saanson kee dhaunkni, jiski ek bhi saas apni nahin ,khoon me heemoglobeen saa ,khoon meraa heemo -globeen uskaa .....
    veerubhai .

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  15. आप सब मित्रों का बहुत-बहुत धन्य्वाद ......
    @जाट देवता जी-ये रहस्य ही इसकी परिभाषा है ..आभार!
    @आदरणीय सतीश जी-पूछना क्या आप सब मित्रों और अग्रजों ने स्नेह
    टिप्पणी के रूप में दे कर बता ही दिया ...अच्छा लगा आपका भी आना ,इसको आदत सी बना लें ....आभार !

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  16. आकर्षित तो बहुत कुछ करता
    कभी आचरण ,कभी विचार
    कभी उश्रॄंखलता,कभी दुलार
    लरजते अनेक विचार ......पर फिर रेत सा चुभ जाना ...गहन अभिव्यक्ति एक कटु सत्य

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  17. सच कहूं ....पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार ........

    निवेदिता जी नमस्कार .
    आपकी कविता बहुत सुंदर है |मैंने नयी-पुरानी हलचल पर उसे लिया है|कृपया आयें और अपने शुभ विचार दें |
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/
    anupama tripathi.

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  18. पहली सांस है आकर्षण ...
    पर अंतिम सांस है परम पावन प्यार!!
    जवाब आपने खुद ही दे भी दिया ...
    बहुत खूबसूरत भाव !

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