रंग यूँ तो बहुत भरे जीवन में
कुछ हलके कुछ चमकीले
यूँ ही रंग-रंगीले औ सजीले
कभी नमी पा बिखर जाते
कभी मन , कभी नयनों से
आ-आ कर छलक जाते
मीठी यादें बन लबों पर
मंद-मंद स्मित लहरा जाते
सलोनी यादें ,वो नन्हे कदम
खुली पलकों सपन दिखा जाते
वो ठुमकते पांवों में आती दृढ़ता
वो चमकते नयनों में झांकता
इन्द्रधनुषी गगन हो कर मगन
सुनहले-सजीले रंगों का मंद-मधुर
जीवन-तार सजा जाते ...........
इन्द्रधनुष को और अधिक
इन्द्रधनुषी बना जाते ..........
रंगों को और अधिक रंगीन बना जाते .......
-निवेदिता
बहुत ही सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
बेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ..लिखती रहें
जवाब देंहटाएंnanhe kadam sabse rangeen sabse chamkile hote hain
जवाब देंहटाएंये रंग यूँ ही बिखरे रहें ..सुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएंवाह! कविता में जीवन के रंग खूबसूरती से उड़ेल दिये गये हैं।
जवाब देंहटाएंकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
जवाब देंहटाएंरंग सा बिखर गया हर ओर...
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
आभार ....
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