ईश्वर हे जगदीश्वर
पीड़ाओं से मुक्त कर !
स्वस्ति दे आश्वस्ति दे
सुख का इक स्वर दे !
राह नई है चाह कई हैं
पीड़ा की राह सुरमई है !
जीवन मोहभरी माया है
लालसाओं ने भरमाया है !
बाधाओं की बगिया हो
या तूफ़ानों की रतिया हो !
आस यही विश्वास यही
हर पल की अरदास रही !
अन्तिम साँस पर मिलेगा तू
अपनी छाया में रखेगा तू !
#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी
#लखनऊ
बहुत सुंदर रचना !
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