आवाज़ में भी इतनी नमी आ सकती है ,और वो भी इतनी कच्ची आवाज़ में ,पहले कभी सोचा नहीं था । इधर कुछ दिनों से ,जब भी बेटे से बात होती है उसकी आवाज़ में एक नामालूम सी नमी रहती है । बस एक माँ का दिल तो बच्चे की अनजान सी धडकन भी सबसे पहले पहचान जाता है ,तो मैं भी थोड़ा सा डर जाती थी कि इस नमी का कारण क्या हो सकता है ! अजनबी सी बदली का एहसास सिहरा जाता था । कल रात भी बात करते हुए एक बार फिर से थाह लेने की कोशिश करते ,जैसे एक सिरा मिल गया और मन को भी सुकून ।
इंजीनियरिंग की पढाई के अंतिम वर्ष की अंतिम परीक्षा की पूर्णता के लम्हे जैसे - जैसे पास आते गये ये नमी भी बढती गयी थी । अब परीक्षा समाप्त हो गयी है और बच्चे वापस अपने - अपने घरों को और अपने अगले गंतव्य को बढ़ चले हैं । सब अपने इन चार वर्षों के साथ में बिठाये हर एक छोटे - बड़े लम्हे को फिर से जीने और कुछ लम्हों को ही सही ,थामे रखने का प्रयास कर रहे हैं । यही उनके दिलों के भारीपन और आवाज़ में आने वाली नमी का कारण है ।
अपने घरों की सुरक्षित छाँव छोड़ कर मासूम फाख्ताओं जैसे ये बच्चे , अपने छात्रावास के इस मासूम से एहसास को , जिसमें खट्टे - मीठे न जाने कितने पल गुज़ारे होंगे , बहुत तीव्रता से महसूस कर रहें हैं । शायद उनको ये भी लग रहा होगा कि अब ज़िन्दगी में फिर कब ,कहाँ और किन स्थितियों में फिर कब मिलेंगे ! शायद कुछ से तो अब कभी मिलना संभव भी न हो ।
अब समझ गयी हूँ कि बच्चे अपने दूसरे घर ,जहाँ वो जन्म से नहीं अपितु दोस्तों के मन से जुड़े थे ,के छूटने की पीड़ा और आने वाले ज़िन्दगी की चुनौतियों , दोनों का ही सामना करने के द्वंद की सृजनात्मक प्रक्रिया से गुजर रहे हैं ।
बस यही दुआ है ईश्वर !उनका मार्ग प्रशस्त करे और उनकी बाँह थामे रहे !!!
- निवेदिता
सुरक्षित क्षेत्र से बाहर अनजान संसार में कदम रखने की घबराहट स्वाभाविक है .
जवाब देंहटाएंढेरों दुआएं और शुभकामनायें !
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद :)
हटाएंशुभकामनयें ..... अभिभावकों के मन में एक भय जगह बना ही लेता है ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिए धन्यवाद :)
हटाएंबस यही दुआ है ईश्वर !उनका मार्ग प्रशस्त करे और उनकी बाँह थामे रहे !!!
जवाब देंहटाएंहमारी शुभकामनाएं भी सभी बच्चों के साथ है !!
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद :)
हटाएंबस यही दुआ है ईश्वर !उनका मार्ग प्रशस्त करे और उनकी बाँह थामे रहे !!!
जवाब देंहटाएंसच!!!
ढेर सारी दुआएं और शुभकामनाएं...
सस्नेह
अनु
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद :)
हटाएंभाई लोगों को हमारी हार्दिक शुभ कामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसादर
शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद :)
हटाएंमार्ग प्रशस्त हो, भविष्य प्रकाशित हो..ढेरों शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के लिए धन्यवाद :)
हटाएंढेरों शुभकामनाएं .मार्ग प्रशस्त हो और भविष्य सुरक्षित.
जवाब देंहटाएंअब तो दोस्तों से बिछड़ने की यह स्थिति काफी सुधर गई है. संपर्क के बहुत से साधन हैं. कोई गुम हो जाएगा या नहीं मिलेगा ऐसे आसार बहुत कम होते हैं.आज से कुछ वर्ष पहले वाकई ये समय बहुत कठिन हुआ करता था .
सही कह रही हो शायद सब भविष्य में मिलते रहें ,पर दोस्तों और और वो भी ऐसे दोस्त जो मानसिक संबल बनें हो ,उनसे अलग होना खलता तो है ही :)
हटाएंचर्चा मंच में स्थान देने के लिए धन्यवाद :)
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंआकांक्षा और कामना तो सब यही करते है. सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंसभी को उजवाल भविष्य हेतु ढेर सारी शुभकामनायें ...शिखा जी की बात से सहमत हूँ :)मगर फिर भी ज़माना चाहे कितना भी क्यूँ ना बदल जाये यह अंजाना डर सभी बच्चों और अभिभावकों के मन में उमड़ता ही है।
जवाब देंहटाएंसही है निवेदिता. दोस्तों का लम्बा साथ छूटना तकलीफ़देह तो होता ही है. बच्चों को आशीर्वाद.
जवाब देंहटाएंघर से दूर गये बच्चे के मन का अनुभव-उज्ज्वल भविष्य की कामनाएं पूर्ण हों !
जवाब देंहटाएंसहमत हूँ आपली बात से
जवाब देंहटाएंबहुत सही आंकलन...शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बस यही दुआ है ईश्वर !उनका मार्ग प्रशस्त करे और उनकी बाँह थामे रहे !!!
जवाब देंहटाएंदुआओं के साथ अनंत शुभकामनाएं
सादर
होस्टल छोड़ते समय का दुःख एक अलग ही किस्म का होता है. अपरिपक्वता कि उम्र में दोस्तों के साथ परिपक्व होना, और सारे दुःख-सुख चार साल साथ-साथ देखना. एक अलग ही माहौल होता है होस्टल छोड़ते समय.
जवाब देंहटाएंबच्चों को आशीष.