सब आजमाते है
जैसे मैं ही हूँ
तुम्हारी परछाईं
सच कहूँ
नहीं बनना मुझे
तुम्हारी परछाईं
कभी कहीं आ गयी
ज़िन्दगी में तपिश
तुमसे दूर कभी
जा भी न पाऊँगी
अंधियारे पलों में
हाथ कैसे छुडाउंगी !
हाँ !
बना सको तो
बना लो
मद्धिम सी
साँसे अपनी
दोनों साथ ही
चल कर थमेंगे !
बसा सकते हो
बसा लो बस
रूह में अपनी
क्यों ?
अरे जानते नहीं
रूहें साथ रहती हैं
जन्मों तक .......
- निवेदिता
सच्चे प्रेम की आकांक्षा ....गहन और बहुत सुन्दर उदगार ह्रदय के ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात
आदि से अनन्त जुड़ने का भाव हो तो छोटी मोटी बातें आयी गयी हो जाती हैं। बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन एक रोटी की कहानी - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत ,हमेशा साथ होने की ख्वाहिश ....सुंदर एहसास ...
जवाब देंहटाएंउतनी ही सुंदर रचना .....
beautiful lines di!
जवाब देंहटाएंरूह का रिश्ता उम्र के पार होता है !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
मै और तुम - एक से ,एक ही
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंआपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 19/05/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
शुक्रिया यशवंत ..... शुभकामनाएं !
हटाएंबहुत सुन्दर कोमल अहसास...
जवाब देंहटाएंप्रेम एक रूप अनेक
जवाब देंहटाएंमन को भा गई आपकी कोमल अनुभूतियों वाली कविता
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंरूह तक उतरते भाव......
सस्नेह
अनु
बहुत खूबसूरत सुंदर एहसास
जवाब देंहटाएंbasaa lo apni ruhon men.
जवाब देंहटाएंruhen sath rahti hain jnmon tak.
behat utkrisht rchna.
बहुत खूबसूरत एहसास!
जवाब देंहटाएंडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest postअनुभूति : विविधा
latest post वटवृक्ष
रूह का रिश्ता जन्म-जन्मांतर तक रहता है ...
जवाब देंहटाएंगहरा एहसास लिए ....
वाह, बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहाँ !
जवाब देंहटाएंबना सको तो
बना लो
मद्धिम सी
साँसे अपनी
दोनों साथ ही
चल कर थमेंगे !
मन को स्पर्श करती भावपूर्ण रचना
बहुत सुंदर
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग"उम्मीद तो हरी है' में सम्मलित हों
http://jyoti-khare.blogspot.in
Lovely :)
जवाब देंहटाएंantim pankti par ek sher yaad aa raha hai...kuch aise tha..
"Tum mujhe roooh mein hi basa lo faraaz
dil-o-jaan ke rishte aksar toot jaaya karte hain"
बसा सकते हो
जवाब देंहटाएंबसा लो बस
रूह में अपनी
क्यों ?
अरे जानते नहीं
रूहें साथ रहती हैं
जन्मों तक .......
रिश्तों को अहसास कराती मोहक रचना.
बेहतरीन अभिव्यकि...
जवाब देंहटाएंमंगल कामनाएं आप दोनों को !
सदा साथ रहने की अभिलाषा .....प्रेम की परिकाष्ठा ही तो है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंकुछ शब्द तो बस महसूस होते हैं न...
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