हमको , अपने जीवन में किसी भी प्रकार का सामान , सम्मान , सम्बन्ध संस्कार या यूँ कह लें
कि जो भी मिलता है उसके के साथ हम दो में से एक रास्ता ही अपनाते हैं ..... हम उसको या तो
स्वीकार कर लेतें हैं या फिर उससे समझौता कर लेते हैं ।
स्वीकार करने में उसके प्रति एक सम्मान का भाव स्वयं ही आ जाता है , जबकि किसी भी प्रकार
का समझौता करने में उस पर एक प्रकार से तरस ही दिखाई देती है ।जब भी ज़िन्दगी अथवा किसी
के भी साथ समझौता करते हैं ,तो किसी तीखे से लम्हे में उसकी छोटी सी कमी भी बहुत बड़ी लगने
लगती है । जिस भी सम्बन्ध में स्वीकार का भाव प्रमुख रहता है , उस में कोई भी कमी रह ही नहीं
पाती और जब भी ऐसी पूर्णता का भाव आ जाएगा , तब तो कुछ भी अप्राप्य नहीं रह सकता ।
स्वीकृति तो कैसा भी और कुछ भी अपने में ही समा लेने की प्रक्रिया होती है ।
तेरा तुझ में कुछ न बचा
सब मुझमें गया समाय
मैं भी मैं कहाँ रह पायी ,
ख्यालों में जब तुम आये
चलो इस मैं और तुम को
आज कहीं दफन कर आयें
बस मुझमें तुम ,तुम में मैं
चलो न अब हम बन कर
जीवन में बढ़ जाएँ ..........
-निवेदिता
स्वीकृति के साथ कुछ समझौते बहुत कुछ सरल कर देते हैं
जवाब देंहटाएंसमझौते में घुटन का एहसास है...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
सस्नेह
अनु
सुन्दर अभिव्यक्ति | बधाई
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
न समझौता न स्वीकार... बस प्यार ही प्यार....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंsadhoo sadhoo
जवाब देंहटाएंचलो न अब हम बन कर
जवाब देंहटाएंजीवन में बढ़ जाएँ ...
बहुत खूबसूरत भाव
आँख मूँदकर कर रही, समझौते स्वीकार।
जवाब देंहटाएंअपनी इस सरकार को, बार-बार धिक्कार।।
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आपकी पोस्ट का लिंक आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी है।
आभार आपका !
हटाएंआँख मूँदकर कर रही, समझौते स्वीकार।
जवाब देंहटाएंअपनी इस सरकार को, बार-बार धिक्कार।।
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आपकी पोस्ट का लिंक आज के चर्चा मंच पर भी है।
बहुत सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबढिया अभिव्यक्ति
समझौते में विवशता झलकती है, स्वीकार करने में सम्मान..
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर !!
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक लेखन ...बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंहम हो जाएं तो जीवन सफल हो जाए ...
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है बहुत ...
बेहतरीन भावभिव्यक्ति ...
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