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शंकर जी अपने गले में सर्प धारण करते हैं।उनका वाहन वॄषभ अर्थात नंदी है।उनके बेटे कार्तिकेय का
वाहन मोर है ,जो सर्प का शत्रु है और उसे खाता है । माता पार्वती का वाहन सिंह है जो वॄषभ को अपना भोजन बनाता है। गणेश जी का वाहन चूहा है , जिसका शत्रु सर्प है । शंकर जी रुद्र स्वरूप उग्र और संहारक हैं तथा उग्रता का निवास मस्तिषक में है ,किन्तु शान्ति की प्रतीक गंगा उनकी जटाओं में विराजमान हैं । उनके कंठ में विष है ,जिससे वो नीलकंठ कहलाये और विष की तीव्रता के शमन के लिये मस्तिष्क में अर्धचंद्र विराजमान है । सर्प तमोगुण का प्रतीक है ,जिसे शंकर जी ने अपने वश में कर रखा है । इसी प्रकार सर्प जैसे क्रूर और हिंसक जीव महाकाल के अधीन हैं ।
शंकर जी के गले में मुंडमाल इस तथ्य का प्रतीक है कि उन्होने मॄत्यु को गले लगा रखा है । इस से यह भी प्रमाणित होता है कि जो जन्म लेता है ,वह मरता अवश्य है । शंकर जी द्वारा हाथी और सिंह के चर्म को धारण करने की कल्पना की गयी है। हाथी अभिमान और सिंह हिन्सा का प्रतीक है ।शिव जी ने इन दोनों को धारण कर रखा है । शिव जी अपने शरीर पर श्मशान की भस्म धारण करते हैं ,जो जगत की निस्सारता का बोध कराती है ,अर्थात शरीर की नश्वरता का बोध कराती है । अतः इतने विरोधाभसों में जो सन्तुलन बनाये रखकर शिव समान रहता हैं वही अनुकरणीय है ।
-निवेदिता
(ये मेरे ब्लॉग के प्रारम्भिक चरण का आलेख है ,जिस पर सम्भवत: किसी की निगाह नही पड़ी होगी | आज इसको रिपोस्ट कर रही हूँ ......)
सुन्दर और मनोरम विवेचन -यह एक सफल परिवारी भारतीय का भी सांकेतिक चित्रण है कि वह कैसे ऐसे ऐसे तमाम झंझावातों से जूझता हुआ भी अविचल और शांत बना रहता है -इसलिए ही शिव लोक मानस में इतना प्रिय हैं !
जवाब देंहटाएंभोले बाबा की लीला न्यारी..... सुंदर पोस्ट
जवाब देंहटाएंया कह दें कि निर्द्वन्द्व है उनका परिवार...
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित आलेख...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व्याख्या !
जवाब देंहटाएंआभार !
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसादर
भोले बाबा का अजवाब विवेचन किया है ... जय हो भोले बाबा की इस महाशिवरात्रि के पर्व की ...
जवाब देंहटाएंबहुत सारगर्भित आलेख...
जवाब देंहटाएंइन्हीं विरोधाभासों की बीच तो औढर दानी सबको प्रसन्नता बांटते हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अवलोकन।
जवाब देंहटाएंसुंदर शिवमय पोस्ट..
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट, आभार.
हटाएंमेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर आप सादर आमंत्रित हैं.
भोले बाबा की जय
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!
बहुत ही सार्थक एवं सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि की शुभकामनाएं ।
शिव और पार्वती का संयोग भी तो विरोधाभाषी है. पार्वती अलग-अलग समय में अलग-अलग गिरिजा, गौरा, सती, नन्दा, भवानी, उमा आदि नामों से जन्म लेती है वहीँ शिव अजर, अमर हैं.(अधिकांश विद्वान इन नामों को पर्यायवाची मानती है).
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि पर्व पर इस पोस्ट के लिए आभार !!
बहुत हि अच्छे तरह से शिव जी के बारे में समझा दिया आपने.....इन सभी का संतुलन हि शिव हैं
जवाब देंहटाएंsundar vyakhya..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक एवं सटीक सुंदर प्रस्तुति...बेहतरीन
जवाब देंहटाएंशिवरात्रि की शुभकामनाएं ,....।
बेहतरीन प्रस्तुति,....बहुत बहुत शुभकामनायें .
जवाब देंहटाएंbam bam bam... bolo bam!!
जवाब देंहटाएंbehtareen saargarbhit alekh:)
खूबसूरत जानकारी के लिए शुक्रिया दोस्त |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
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