शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2024

स्तुति

स्तुति

अक्षत संग ले कुमकुम

आसन  सजा हुआ 

माँ आन विराजो तुम।

*

आँचल की दे छइयाँ

श्वेत वस्त्र धारे

पकड़े माता बइयाँ।

*

चंचल मन को साधो

ज्ञान दायिनी माँ

दे ज्ञान हृदय बाँधो।

*

मन शीतल करती है

ब्रम्हा की ललना 

 घट खाली भरती है।

*

माँ वाणी महारानी

ज्ञान नयन खोले

महिमा उनकी गानी।

#निवेदिता_निवी 

#लखनऊ

4 टिप्‍पणियां: