मीठी है छूरी
कहते मठाधीश
बनते ईश।
विश्वास पाश
छलिया है प्रकृति
करती नाश।
सदा हँसता
कसौटी पे कसता
दम घुटता।
सुरसा आस
हो रहा सर्वनाश
अबूझ प्यास।
प्रश्नों के घेरे
लगाते हैं पहरे
टूटती आस।
स्वार्थी का स्वांग
दावानल की आग
छाता विराग।
#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी
#लखनऊ
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