मदिर मन्थर मोहक मलयानिल
नतनयन नवयौवन निरखेसुमधुर सलोना सज्ज सा सपना
धैर्य धरे धरणी अब कैसे
पीत पात सरस धड़के हिया
गोरा गात नित धूमिल होय
धूम्र रेखा सी जीवन रेखा
पंकज सरस गात नचावे
मान न जाने ,मन मनावे
जीवन ज्योति गलती जाए
#निवी सुध ले तू अपने मन की
व्यर्थ साँसें क्यों है गंवाए !
... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
बढ़िया अभिव्यक्ति।
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