दोहे
1
बदरा बरस बरस गये ,मन क्यों भया उदास
चलने की बेला सखी ,देव मिलन की आस
2
खोल मन की खिड़कियाँ ,हँस रहा अमलतास
वासनायें उड़ा चली ,ले ले तू कल्पवास
3
चमके चपला दामिनी ,मन में हुआ उजास
मोती बन बादल झरे ,क्यों करे अविश्वास
4
जीवन डगर लगे कठिन ,न कर कभी उपहास
सम्हल कर तू कदम रख , समय करे परिहास
निवेदिता
1
बदरा बरस बरस गये ,मन क्यों भया उदास
चलने की बेला सखी ,देव मिलन की आस
2
खोल मन की खिड़कियाँ ,हँस रहा अमलतास
वासनायें उड़ा चली ,ले ले तू कल्पवास
3
चमके चपला दामिनी ,मन में हुआ उजास
मोती बन बादल झरे ,क्यों करे अविश्वास
4
जीवन डगर लगे कठिन ,न कर कभी उपहास
सम्हल कर तू कदम रख , समय करे परिहास
निवेदिता
बहुत सुन्दर दोहे
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