1
कलियाँ भी खिल पड़ी चमेली में
यूँ बचपना हँस पड़ा अठखेली में
नींव नेह की बड़ी गहरी रखी थी
मीठी यादें बरस रही हवेली में
2
लम्हों के काँच चुभ रहे हथेली में
जीवन बीता जा रहा पहेली में
साँसों के दरम्याँ बड़ा है फ़ासला
यादें भी बरस रही चंगेली में .... निवेदिता
कलियाँ भी खिल पड़ी चमेली में
यूँ बचपना हँस पड़ा अठखेली में
नींव नेह की बड़ी गहरी रखी थी
मीठी यादें बरस रही हवेली में
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लम्हों के काँच चुभ रहे हथेली में
जीवन बीता जा रहा पहेली में
साँसों के दरम्याँ बड़ा है फ़ासला
यादें भी बरस रही चंगेली में .... निवेदिता
बहुत सुंदर मुक्तक
जवाब देंहटाएंसाँसों के दरम्याँ बड़ा है फ़ासला
जवाब देंहटाएंयादें भी बरस रही चंगेली में ....वाह निवेदिता जी वाह
वाह...बहुत सुंदर👌
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