चुनाव का माहौल जब छाया
नेता जी पर देशभक्ति का जोश छाया
सोचा चलो हम भी कुछ नया करते हैं
दुकानदार से पूछा
भैया देश का झण्डा रखते हो
दुकानदार बोला ...
हाँ नेता जी
सिर्फ रखते ही नहीं बेचते भी हैं
बोलो क्या तुम खरीदोगे
नेता जी थोड़ा सकपकाए
थे तो नेता ही ,झट से मुस्काये
अरे तुम बेचोगे तो क्यों न खरीदेंगे
झण्डा बनाने वाले से लेकर
बेचनेवाले तक सबको
रोजगार मुहैय्या करवाएंगे
दिखाओ तो तुमने कैसा झण्डा है रखा
तिरंगा बोल कर पाँच रंगोंवाला झण्डा ही रखा
अरे जरा इसमें कुछ और रंग तो दिखाओ
दुकानदार जरा न सकुचाया
बोला ....
नेताजी बाकी रंग तो चुनाव में आप बदलोगे
झण्डे को तो एक सा रहने दो .... निवेदिता
नेता जी पर देशभक्ति का जोश छाया
सोचा चलो हम भी कुछ नया करते हैं
दुकानदार से पूछा
भैया देश का झण्डा रखते हो
दुकानदार बोला ...
हाँ नेता जी
सिर्फ रखते ही नहीं बेचते भी हैं
बोलो क्या तुम खरीदोगे
नेता जी थोड़ा सकपकाए
थे तो नेता ही ,झट से मुस्काये
अरे तुम बेचोगे तो क्यों न खरीदेंगे
झण्डा बनाने वाले से लेकर
बेचनेवाले तक सबको
रोजगार मुहैय्या करवाएंगे
दिखाओ तो तुमने कैसा झण्डा है रखा
तिरंगा बोल कर पाँच रंगोंवाला झण्डा ही रखा
अरे जरा इसमें कुछ और रंग तो दिखाओ
दुकानदार जरा न सकुचाया
बोला ....
नेताजी बाकी रंग तो चुनाव में आप बदलोगे
झण्डे को तो एक सा रहने दो .... निवेदिता
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (18-03-2019) को "उभरे पूँजीदार" (चर्चा अंक-3278) (चर्चा अंक-3264) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 17/03/2019 की बुलेटिन, " होली का टोटका - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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