इस गुमसुम खामोशी में
ख्यालों की आंधियां लाते
अनसुलझे सवालों में
धूपिल छाँव तलाशते
कैसे हैं ये जज्बात !
कभी पानी सा सरल
कभी पानी सा कठोर,
धूमिल पगडंडी से
कभी जुगनू सी चमक
कभी बिजली की कडक,
कभी मील के पत्थर बन
राहें सरल कर जाती ,
कभी गहराइयों में ढकेलती
खाइयों में दफ़न कर जाती ,
ये कैसी आवाज़ है दम घोंटती
सुन कर भी अनसुनी ही करती .......
-निवेदिता
खामोशी को बहुत ही अच्छे शब्द दिए हैं आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
sundar rachana hardik badhai ...
जवाब देंहटाएंगुमसुम खामोशी में
जवाब देंहटाएंख्यालों की आंधियां लाते
अनसुलझे सवालों में
धूपिल छाँव तलाशते
कैसे हैं ये जज्बात !
khamoshi me umadte jazbaaton kee aandhi bahut kuch de jati hai
वाह! बहुत बेहतरीन रचना| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंआपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (2.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
मौन करे नद-नाद,
जवाब देंहटाएंकहीं छलका है महा विषाद।
खामोशी के जज़्बात -
जवाब देंहटाएंपर करते सुंदर बात ....!!
धूमिल पगडंडी से
जवाब देंहटाएंधुंधलाते जाते रास्ते ,
कभी जुगनू सी चमक
कभी बिजली की कडक,
कभी मील के पत्थर बन
राहें सरल कर जाती ,
बेहतरीन रचना
कभी गहराइयों में ढकेलती
जवाब देंहटाएंखाइयों में दफ़न कर जाती ,
ये कैसी आवाज़ है दम घोंटती
सुन कर भी अनसुनी ही करती
बेहतरीन भाव......
aapki khamoshi...aapke jajbaato ko ubhar rahi hai..:)
जवाब देंहटाएंकभी पानी सा सरल
जवाब देंहटाएंकभी पानी सा कठोर,
बहुत खूब ...अच्छी रचना
जज़्बातो की भाषा कब समझ आती है………सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंSilence speaks emphatically.
जवाब देंहटाएंgahara bhav...sundar
जवाब देंहटाएंhttp://kavyana.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
आप सबका उत्साहवर्धन के लिये आभार .......
जवाब देंहटाएंइस गुमसुम खामोशी में
जवाब देंहटाएंख्यालों की आंधियां लाते
अनसुलझे सवालों में
धूपिल छाँव तलाशते
कैसे हैं ये जज्बात !...
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें !
behtareen marmsparshi abhivyakti.
जवाब देंहटाएंvery nice creation really it is !!!
जवाब देंहटाएंto research ur Raam..visit now ---
www.susstheraam.blogspot.com, www.theraam.weebly.com
ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण - अवलोकन २०११ के अंतर्गत आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है ब्लॉग बुलेटिन पर - पधारें - और डालें एक नज़र - प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (18) - ब्लॉग बुलेटिन
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत भावभीनी रचना .
जवाब देंहटाएंअनसुलझे सवालों में
जवाब देंहटाएंधूपिल छाँव तलाशते
कैसे हैं ये जज्बात !
सार्थक सुन्दर रचना....
सादर.
khamoshiyon ka jhanjawaat acchha hai.
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 16/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह...आपकी ख़ामोशी ने बहुत कुछ कह डाला..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.