गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

कर सारे श्रृंगार ... सज धज कर के सारे श्रृंगार छत पर गोरी आ जाना। ओढ़ चुनरिया लाल रंग की प्रीतम को तू भा जाना। मेहंदी की लाली हाथों में प्रीत रस हो बातों में धूप दीप अगरु अरु मीठा करवे का थाल सजा लाना धीमे धीमे कदमों से आ पायल तू खनका जाना सज धज कर ... चन्दा छुप छुप जाए बदली में शाखों पत्तों की अंजुली के मन्द मदिर जब पवन चले अम्बर आनन हँस गयी टिकुली जलधार देते चन्दा को चूड़ी कंगन खनका जाना सज धज कर ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी' लखनऊ

 सज धज कर के सारे श्रृंगार
छत पर गोरी आ जाना।
ओढ़ चुनरिया लाल रंग की
प्रीतम को तू भा जाना।

मेहंदी की लाली हाथों में
प्रीत रस हो बातों में
धूप दीप अगरु अरु मीठा
करवे का थाल सजा लाना
धीमे धीमे कदमों से आ
पायल तू खनका जाना
सज धज कर ...

चन्दा छुप छुप जाए बदली में
शाखों पत्तों की अंजुली के
मन्द मदिर जब पवन चले
अम्बर आनन हँस गयी टिकुली
जलधार देते चन्दा को
चूड़ी कंगन खनका जाना
सज धज कर ...
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ