गुरुवार, 21 मार्च 2019

रंग तो प्रिय ....

नीला -काला -बैगनी,
रंग न ये तुम लगाना ,
ये तो सारे अंधियारा लाते !
लाल-गुलाबी-हरा औ पीला
ये ही सब मनभाते हैं
सबके  शगुन बन
खुशियाँ फैला जाते हैं
लाल चुनरिया ,
गुलाबी गात
हरी है चूड़ी,
पीला रंग शगुन 
बन लहरा जाता
रंग तो प्रिय वही लगाना
तुम देखो ,मैं समझूं
मैं निरखूं तुम परखो
रंग तो प्रिय ........
             -निवेदिता-

रविवार, 17 मार्च 2019

झण्डे को तो एक सा रहने दो .....

चुनाव का माहौल जब छाया
नेता जी पर देशभक्ति का जोश छाया
सोचा चलो हम भी कुछ नया करते हैं
दुकानदार से पूछा
भैया देश का झण्डा रखते हो
दुकानदार बोला ...
हाँ नेता जी
सिर्फ रखते ही नहीं बेचते भी हैं
बोलो क्या तुम खरीदोगे
नेता जी थोड़ा सकपकाए
थे तो नेता ही ,झट से मुस्काये
अरे तुम बेचोगे तो क्यों न खरीदेंगे
झण्डा बनाने वाले से लेकर
बेचनेवाले तक सबको
रोजगार मुहैय्या करवाएंगे
दिखाओ तो तुमने कैसा झण्डा है रखा
तिरंगा बोल कर पाँच रंगोंवाला झण्डा ही रखा
अरे जरा इसमें कुछ और रंग तो दिखाओ
दुकानदार जरा न सकुचाया
बोला ....
नेताजी बाकी रंग तो चुनाव में आप बदलोगे
झण्डे को तो एक सा रहने दो .... निवेदिता

बुधवार, 6 मार्च 2019

ध्वज

लघुकथा : ध्वज

अन्विता ,"दादी माँ ये बताओ न हमने अपने ध्वज में रंगों को इसी क्रम में क्यों रखा है ? अगर हम सफेद रंग ऊपर कर दें फिर हरा और उसके बाद केसरिया ,तब क्या होता 🤔! "

दादी माँ ,"बेटे ध्वज में रंग प्रकृति के विभिन्न अंश के प्रतिरूप हैं । हरा रंग धरा की उर्वरता का प्रतीक है ,तो केसरिया रंग उगते सूर्य की किरणों का । सफेद रंग बीच में रखने का उद्देश्य ही यही है कि सूर्य की किरणों के  तीखेपन और उर्वरा धरा की कोमलता को संतुलित रखे । मध्य में स्थित चक्र निरन्तर गतिशील जीवन और उन्नति को दर्शाता है । अब बताओ ध्वज को देखते ही हमको क्या कहना चाहिये .... "

नन्ही सी अन्विता ने तुरंत ही जयघोष किया ," जय हिन्द ..... !!! "
                                                                  -- निवेदिता