शनिवार, 2 जुलाई 2022

पत्र कान्हा का बंसरी के नाम ❤️❤️

प्यारी बंसरी !

चौंक गयी होगी तुमको सम्बोधित मेरा पत्र पा कर ... क्या करूँ मेरी प्रवृत्ति ही सबको सुखद अनुभव देना है। तुम भी सोचती होगी कि बाकी सब को तुम याद रहती हो,कोई तुमसे ईर्ष्या करता है तो कोई तुमको चुरा कर छुपाना चाहता है जिससे वो तुम्हारे न होने की रिक्ति को भर सकें , परन्तु मैं बस तुमको थामे हुए घूँट-घूँट भर कर अपनी जीवदायिनी साँसें पीता रहता हूँ। तुम भी जानती हो कि हम एक दूसरे में इतना रच-बस गये हैं कि तुम्हारी प्रतिकृति किसी अन्य के साथ होने पर भी हमारे साथ की ही याद दिलाती प्रतिछवि बनाती है।


सब मुझको छलिया कहते हैं पर मैं तुम्हारी ओट में ही तो अपने उर के भावों को छुपाए मनमोहिनी मुस्कान बिखेरता रहता हूँ और सबको सबका कर्म फल देता हूँ।


चाहें मेरी रानियाँ हों या गोपिकाएं, मैंने किसी से नहीं कहा पर तुमसे कहता हूँ कि तुम हो मेरे होंठों पर, तभी जग में सकारात्मकता और शान्ति बरसती है, नहीं तो सुदर्शन चक्र को भी अपनी तीक्ष्णता दिखाने का अवसर मिल जाता है।


मेरी जीवनदायिनी बाँसुरी ! एक बात मानोगी तुम सदैव मेरे अधरों पर ही सज्ज रहना जिससे मेरे हाथ तुम्हें ही सम्हाले रहें और कभी सुदर्शन चक्र या शारंग (मेरा धनुष) नहीं उठाएं और दुरात्मा भी पापकर्मों को भूल कर धरती को भी शान्ति दें ।

तुम्हारा कान्हा ❤️❤️

#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी 

#लखनऊ