गुरुवार, 17 मार्च 2011

रंग तो प्रिय .........

नीला -काला -बैगनी, 
रंग न ये तुम लगाना ,
ये तो सारे अंधियारा लाते !
लाल-गुलाबी-हरा औ पीला 
ये ही सब मनभाते हैं 
सबके  शगुन बन 
खुशियाँ फैला जाते हैं 
लाल चुनरिया ,
गुलाबी गात 
हरी है चूड़ी,
पीला रंग शगुन  
बन लहरा जाता 
रंग तो प्रिय वही लगाना 
तुम देखो ,मैं समझूं 
मैं निरखूं तुम परखो 
रंग तो प्रिय ........
             -निवेदिता-


19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर होली कविता
    ब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण सभी से माफ़ी चाहता हूँ ..

    जवाब देंहटाएं
  2. आप सभी होली की हार्दिक सुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  3. हमने भी कुछ रंग उछाल फेंके हैं आपकी तरफ ....
    होली की शुभकामनाएं....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर..होली की हार्दिक शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया !

    आपको होली की सपरिवार हार्दिक शुभ कामनाएं!

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. खिले हुये रंगों से खिली हुयी होली।

    जवाब देंहटाएं
  7. लाल चुनरिया ,
    गुलाबी गात
    हरी है चूड़ी,
    पीला रंग शगुन

    रंगों से....बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  8. रंग तो प्रिय वही लगाना , तुम देखो मैं समझूं !
    बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर्……………होली की हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  10. रस-रंग भरी रचना ...
    रंग पर्व पर मंगलकामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  11. आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  12. हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
    मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.

    होली की हार्दिक शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  13. टिप्पणियों के रूप में इतने सारे रंग भरने के लिये आप सबका
    आभार .आप सब को भी रंग-पर्व की शुभकामनायें.....

    जवाब देंहटाएं
  14. Rangon ko khubsoorti se sajaya hai aapne is kavita mein.Ati sundar...badhayee.

    जवाब देंहटाएं