बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

"मन की चिकित्सा "

            बीमारी किसी भी व्यक्ति को दो तरह की हो सकती  है - शारीरिक  और मानसिक | साधारणतया  हम सिर्फ  शारीरिक - व्याधियों  के विषय  में  ही  
सचेत रहते हैं | मानसिक बीमार के बारे में सामान्यतया  "पागल" कह  कर 
ही इतिश्री कर लेते हैं | अगर देखा जाए तो मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति 
के बीमारी की शुरुआत उसके आत्मबल के क्षीण होने से होती है |उसकाखुद 
पर से विश्वास कम होते-होते एकदम समाप्त हो जाता है | वो आस - पास की 
परिस्थितियों से खुद को जोड़ नहीं पाता और सामान्य प्रतिक्रिया भी नहीं दे 
पाता | उसके इस प्रतिक्रियाहीन रह जाने को पागल कह दिया जाता है ,जो की सर्वथा अनुचित है |  
          जब आधुनिक चिकित्सा - प्रणाली विकसित  नहीं हुई थी ,तब ऐसे रोगियों को किसी पुजारी या ओझा के पास ले जाते थे,जो अनिष्ट  निवारण 
के लिए तथाकथित जादू अथवा पूजा का आश्रय लेते थे | कालान्तर में जैसे जैसे आधुनिक चिकित्सा -प्रणाली ने क्रमिक विकास किया इन मानसिक रोगियों को स्वीकारा जाने लगा और लक्षण  के  आधार  पर  हर  व्याधि के उपचार का तरीका खोजा जाने लगा | 
              मानसिक बीमारियां भी कई प्रकार की  होती हैं | मिरगी  भी  एक प्रकार की ऐसी ही बीमारी है ,जिसे कि लाइलाज़ समझा जाता था | अवसाद 
का दौर भी लगभग  हर एक   के जीवन  में  आता  है ,कभी  कम  तो  कभी अधिक | यह अवसाद भी एक मानसिक व्याधि ही है | इसमें सबसे डरावना 
रोग "स्कीजोफ्रेनिया" माना  जाता है | इसका मुख्य  लक्षण वैचारिक और भावनात्मक  प्रतिक्रियाओं  का  असंतुलन  है | इसमें  मरीज  अनुपस्थित
की आवाज़ें सुनते हैं | काल्पनिक  भय  के  फलस्वरूप  असामान्य  हरक़ते करते हैं | 
               पहले मानसिक रोगियों की चिकित्सा में बिजली के झटके दिए जाते थे | धीरे-धीरे मानासिक रोगियों की चिकित्सा मनोवैज्ञानिक आधार 
पर होने लगी | ऐसे रोगियों की चिकित्सा में  सबसे ज्यादा  सहायक  शांत
और आरामदायक जगह ,ताजी हवा और पोषक भोजन होते हैं | शांत और 
सुकून पहुंचाने वाले स्थान से इन की मानसिक उत्तेजना और उद्वेलन शांत 
हो जाती है | इस  तरह की  बीमारी में  दी जाने  वाली  दवाओं  के असर  से मरीज़  की उग्रता तो कम हो जाती है ,परन्तु वह मरीज़ सुस्त और  उनींदा 
सा रहता है और सामान्य जीवन नहीं जी पाता है | इस परिस्थिति को हम ऐसे समझें की पहले हम पागल कह कर ज़ंजीरो से जकड़ देते थे , अब उन 
को मानसिक रोगी बोल  कर दवा  की ज़ंजीरो  से जकड़ देते  हैं | मानसिक 
रोगियों को आवश्यकता सिर्फ इतनी है कि चिकित्सकीय परामर्श के साथ 
ही एक शांत और संवेदनशील वातावरण भी दें|

12 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही उपयोगी विश्लेषण किया है आपने.

    सादर

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  2. बढ़िया जानकारी दी है शुभकामनायें आपको !

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  3. मैं एक मरीज को लेकर लगभग एक माह पागलखाने में रहा हूँ। उनके दर्द को देखा व महसूस किया है। करेंट का झटका लगने पर वे तड़पते थे तो झटका न लगने पर भी असनीय मानसिक यातना सहते थे।
    ...आपने अच्छी जानकारी दी।

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  4. उपयोगी जानकारी, वातावरण बहुत आवश्यक है।

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  5. हौसला बढाने के लिये आप सबका धन्यवाद ।
    आभारी हूं ...

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