शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

गीतिका : कभी मुस्कराया करो ।।

हो सके ख़्वाब बन दिख ही' जाया करो ।

साथ तुम भी कभी मुस्कराया करो ।।


गुनगुनाती रही रात भर बन गज़ल।

साथ तुम भी कभी गुनगुनाया करो।। 


मुस्कराती रही बेबसी रात भर ।

हो सके सच कभी भी बताया करो ।।


साथ मेरे चलो शबनमी रात में ।

मैं बनूँ चाँदनी तुम सजाया करो ।।


साथ बेरहम हो कर भुलाना नहीं ।

भाव जो मन बसे ना छुपाया करो ।।


चल चलें साथ भी अब रुलाने लगा ।

दो कदम साथ 'निवी'  निभाया करो ।।

         

बेसबब चल दिये  तुम इस जहान से ।

निभ सके तो  'निवी' तुम निभाया करो ।।

  

         ... निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

7 टिप्‍पणियां:

  1. क्या बात है प्रिय निवेदिता जी।बहुत ही प्रेमिल और मोहक भाव पिरोये है रचना में।हार्दिक बधाई 🙏

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