गुरुवार, 27 जुलाई 2023

पलायन : कारण और निवारण

पौधे अपने प्राकृतिक परिवेश में ही ज्यादा पुष्पित एवं पल्लवित होते हैं। स्थान बदल कर अन्यत्र रोपित करने पर अतिरिक्त देखभाल और पोषण ही उनके जीवन को पुनः पुष्ट करता है, परन्तु कभी-कभी बोनसाई बन कर अपनी प्रकृति छोड़ने को विवश भी। इसी तरह हममें से अधिकतर अपने स्थान से ही जुड़े रहना चाहते हैं, वहाँ से हट कर अन्यत्र बसने की कल्पना भी हम को दारुण लगती है। सामान्यतया अपने स्थान पर उपलब्ध संसाधनों में ही हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का प्रयास करते हैं। परन्तु कभी-कभी आवश्यकताएं इतनी बढ़ जाती हैं कि उनको अपनी सामर्थ्यानुसार संसाधन की तलाश में अपना स्थान छोड़ना ही पड़ता है। एक बार जब अपना स्थान छूटता है तब वापसी का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है क्योंकि धीरे-धीरे हमारी सामर्थ्य बढ़ती जाती है और साथ ही महत्वांक्षाएँ भी। अपने स्थान पर वापसी के लिए उनको कोविड जैसी महामारी ही विवश कर सकती है, अन्य कुछ नहीं!


पलायन जैसे रक्तबीज का निवारण / उन्मूलन करने के लिए अपने मूल स्थान पर ही अच्छा और सुविधाजनक जीवन जी सकने योग्य काम मिलना सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। यदि बच्चों को अच्छी शिक्षा छोटे से छोटे स्थान पर ही मिल जाये तो बच्चों को अपने पास से दूर भेजना तो कोई माता पिता नहीं चाहेंगे। उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को महँगे विद्यालयों में भेजने के लिए, अभिभावकों द्वारा लिए गए ऋण को चुकाने के लिए महँगे पैकेज की तलाश में बच्चों को अपनी जड़ों को छोड़ना नहीं पड़ेगा।

यदि जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति अपने मूल स्थान पर ही होने लग जाये तो अपनी जड़ों को छोड़ कर जाना न तो किसी की चाहत होगी और न ही विवशता।
निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'
लखनऊ

2 टिप्‍पणियां:

  1. जी सही कहा आपने लेकिन ऐसा नजदीकी समय में होता मुमकिन नहीं लगता है। कारण ये है कि चीजें कुछ ही छोटी छोटी जगहों पर केंद्रित हैं। सदियों से मनुष्य बेहतर जीवन की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाता ही रहा है। ऐसे में मनुष्य को ना चाहकर भी अवसरों के ऐसे केंद्रों की तरफ बढ़ना पड़ता है। हाँ, कोरोना के जैसे जब विकल्प मौजूद हो या अवसर समाप्त हो जाए तो वह फिर अपनी जड़ों की तरफ लौट पड़ता है।

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