गुरुवार, 6 जुलाई 2023

चाँद

चाँद बहुत उदास दिख रहा था

उजले और स्याह में भटक रहा था !


चन्द रेशे चुन लायी उम्मीदों के 

पिरो दिया उनमें सुनहले ख्वाबों को !


पलट कर देखना कभी 

चाँद भी अब इंद्रधनुष में हँसता है !


कुछ लम्हे चुभेंगे मन के पाँव में 

भटकेगा मन अपने बसाए गाँव मे !


रेशे सी किरच छलक उठी थी

चुभन हुई पलकों की छाँव में !


चाँदनी ने सरगोशियों में कहा

चाँद भी अब इंद्रधनुष में हँसता है ! 

#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी 

#लखनऊ

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