चाँद बहुत उदास दिख रहा था
उजले और स्याह में भटक रहा था !
चन्द रेशे चुन लायी उम्मीदों के
पिरो दिया उनमें सुनहले ख्वाबों को !
पलट कर देखना कभी
चाँद भी अब इंद्रधनुष में हँसता है !
कुछ लम्हे चुभेंगे मन के पाँव में
भटकेगा मन अपने बसाए गाँव मे !
रेशे सी किरच छलक उठी थी
चुभन हुई पलकों की छाँव में !
चाँदनी ने सरगोशियों में कहा
चाँद भी अब इंद्रधनुष में हँसता है !
#निवेदिता_श्रीवास्तव_निवी
#लखनऊ
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