रविवार, 23 जुलाई 2023

पीपल : गीतिका

छाया इसकी कम घनी, कोमलता है पास।

प्राणदायिनी वायु दे, इस में प्रभु का वास।।

*

साँस अटकती जब सखी, करे दर्द जब पेट।

छाल छाँव और अर्क सब, बन जाते हैं खास।।

*

विष प्रभाव को कम करे, रस का असर विशेष।

चलती शीतल जब हवा, आती सबको रास।।

*

रंग त्वचा का निखरता, झुर्री करता साफ़।

वायु प्रदूषण का  सखे , पीपल करता ह्वास।।

*

पत्ते इसके कम विरल, आते विहग अनेक।

करना ऐसा यत्न है, बना रहे उच्छ्वास॥

*

ब्रम्हा विष्णु महेश प्रभु, करते इसमें वास।

सज्जा करें निवास की, समृद्ध हो आवास।।

*

पूजन अर्चन में सजे, घर का बंदनवार।

परमधाम जो जा चुके, उनका तरु ये ख़ास।।

*

बोधि वृक्ष कहते इसे, पूजन अलग विधान।

दूध धूप दीपक जले, मंत्र का हो अभ्यास।।

*

दिवस अमावस सोम हो, करते विधी विधान।

परिक्रमा होती फलित, भरता घर उल्लास।।


निवेदिता श्रीवास्तव 'निवी'

लखनऊ

4 टिप्‍पणियां: