रविवार, 13 फ़रवरी 2022

स्वेटर ज़िंदगी का ...


ज़िन्दगी से यूँ ही दो - दो हाथ कर
लम्हा - लम्हा बुनती गयी इक स्वेटर
दो फन्दे मीठी - मीठी यादों से सीधे हैं
तीन फन्दे दुख में करते चटर - पटर !

दुखते लम्हों को भी था दुलराया
दुखड़ा अपना उन्होंने था सुनाया
एकाकी से लम्हों को बाँहों में भर
इंद्रधनुषी रंग से था चँदोवा सजाया !

अवसान की बेला ले खड़ी है झोली
करती सखियों सी अल्हण ठिठोली
धवल धूमिल पड़े उन रंगों को साधा
बनाने चल पड़ी मैं उस पार रंगोली ! #निवी'

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