यादों का प्याला ...
अवनी ओढ़े धानी चूनर
मुरली मधुर बजाए अम्बर !
सतरंगी किरणों का ले सेहरा
सज्ज हुआ तब रवि का चेहरा !
नन्ही नन्ही बुंदियन की माला
नयनन की छलकी तब हाला !
धीर धरें कैसे साजन सजनी
प्रणय की पायल है बजनी !
कलियाँ कोमल खिलने आईं
मधुर मिलन की ऋतु गहराई !
यादों से भर रहा है प्याला
नैन बने प्रिय की मधुशाला ! निवी
वाह !!! बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसाजन , सजनी दोनों को वैवाहिक वर्षगांठ की अनंत शुभकामनाएँ ।।
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (०४ -०२ -२०२२ ) को
'कह दो कि इन्द्रियों पर वश नहीं चलता'(चर्चा अंक -४३३१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
आप काव्य सृजन काबिले तारीफ है।
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