रविवार, 6 फ़रवरी 2022

कैक्टस की बारात !

 

तुम्हारे दर से आ गईं हूँ
ले चुभते काँटे की सौगात !

टीसते छालों का मुँह खोल रही हूँ
काँटों से उकेर रही हूँ जज़्बात !

रोक लो अपनी इस अदा को
ये नन्हे नन्हे काँटे कर रहे हैं बात !

आओ थाम ले एक दूजे का हाथ
बन न जायें कैक्टस की बारात !  #निवी

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